Kavita Jha

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गुड्डा गुडिया#लेखनी दैनिक कहानी प्रतियोगिता -31-Dec-2022

गुड्डा गुड़िया
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ये कहानी काव्या जिसे गुड्डे-गुडिया का बचपन से ही बहुत शौक था समय के साथ साथ यह शौक बढ़ता ही गया।
सन 1983 -(काव्या 7 साल की है) 
आज फिर से काव्या कोने में बैठ कर रो रही है ।आज फिर उसे मम्मी ने डाँटा। उसकी इस हरकत से मम्मी  वाकई बहुत परेशान हो गई थी।रोज उसे इसी बात पर डाँट पड़ती कि उनके कमरे में  जो टांड (स्टोर बाक्स) था, उस पर मम्मी की पुरानी साड़ियों का लगाया हुआ पर्दा में से एक टुकड़ा फटा हुआ मिलता।  बहुत मुश्किल होती थी मम्मी के लिए वह पर्दा ठीक  करना। एक तो इतनी  ऊंचाई पर था बॉक्स
दूसरा उस समय इतनी साड़ियां या कपड़े परदे के लिए कहां थे मम्मी के पास जो रोज नए लगाती । उन फटे हुए परदे से बॉक्स के अंदर का सारा सामान बाहर दिखाई देता। पर काव्या भी क्या करें उसकी गुड़िया को रोज नए कपड़े जो पहनने हैं । सब सहेलियों में अपनी धाक जो जमानी है । वैसे मम्मी अक्सर उसके लिए अपनी पुरानी साड़ी और पापा की धोती से उसके लिए और उसकी बहन के लिए गुड्डा गुड़िया बना दिया करती उसके लिए गुड़िया और दीदी के लिए गुड्डा ।पर दीदी को गुड्डे गुड़ियों से खेलना पसंद नहीं था उसे कहानियां पढ़ना ही ज्यादा अच्छा लगता था । काव्या के तो मजे हो जाते जब दीदी उसे अपना गुड्डा और पापा जो खिलौने लाए थे, राजस्थान से ऊंट और घोड़ा सब उसको मिल गया। उसको अपनी सहेलियों के साथ गुड्डा गुड़िया का खेल बहुत पसंद आता। अक्सर दोपहर में जब मम्मी सो जाती और दीदी अपनी कहानी की किताबों में व्यस्त रहती और  भाई बाहर अपने कंचों के साथ,  तब काव्या अपने गुड्डे गुड़िया लेकर अपनी सहेली किरण के घर चली जाती ।वहां उसकी और भी बहुत सारी सहेलियां थी । गली के कुछ लड़के भी शामिल हो जाते थे उनके उस खेल में । उनमें से किरण की बुआ का बेटा सुजीत भी था वह बहुत बदमाश था गुड़िया की शादी में वह लोग अपनी जेब खर्च के 25 50 पैसे बचाते  थे। उससे खाने का सामान लाते थे। वह खेलते खेलते सब खा जाता और हमारे गुड्डे गुड़िया और बाकी खिलौने भी तोड़ देता । फिर सब बच्चों का खूब झगड़ा होता । वैसे सारे बच्चे मिलकर और भी बहुत सारे खेल खेलते लूडो गिट्टटे, वह इमली के बीज से चक्कम-छक्कम, गैलरी , पहले दुगो और न जाने कितने नए नए खेल वह रस्सी कूदना ,कंचे खेलना गुल्ली डंडा , पतंग उड़ाना। वह सारे लड़कों वाले खेल भी काव्या को बहुत पसंद थे । पर सबसे अच्छा उसे अपनी गुड़िया के लिए नए नए कपड़े स्वेटर टोपी बनाना लगता और ना जाने कब उस गुड़िया के खेल खेल में उसने बहुत सारी चीजें सीख ली जैसे सिलाई कढ़ाई बुनाई यह सब उसकी गुड़िया की मेहरबानी है और पढ़ाई भी । गुड़िया को पढ़ाती भी तो थी हमेशा ।जो भी वो स्कूल में सीखती, सब अपनी गुड़िया  को सीखाती।

सन् 2018

आज  भी जब काव्या 40 की हो गई है । उसे गुड्डे गुड़िया बनाना बहुत पसंद है बस जरा सा मौका मिल जाए लेकिन सबसे ज्यादा दुख हुआ था उसे तब जब उसने बड़े प्यार से यूट्यूब से सीख कर नहीं तरह की नई रैगडौल बनाई थी अपनी भांजी की बेटी के लिए ।बच्ची को तो वह गुड़िया बहुत पसंद आई वह उसको अपने साथ अपने घर ले गई। लेकिन पता नहीं क्यों काव्या की भांजी को उसे देखकर डर लगने लगा। ऐसा ही बताया था काव्या की जेठानी ने उसे वैसे बाकी किसी ने इस बारे में कुछ नहीं कहा। पर उनकी वह बात सुनकर बहुत दुख हुआ था। बच्ची की गुड़िया छीन कर उसे तोड़ कर फेंक दिया । समझाया था उन्होंने क्यों इतना इतनी मेहनत करती है बेकार में तू । जब तुम्हारी मेहनत की किसी को क़द्र ही नहीं है। पर काव्या कहां समझ पाती है वह तो आज भी अपने बचपन में ही जीती है ।

सन् 2020

इस बार बट सावित्री की पहली पूजा थी उसकी देवरानी की ।बहुत धूमधाम से मनाई जाती है यह पूजा । काव्या के लिए इसमें सबसे खास बात यह लगती है कि शादी के पहले साल की पूजा में नया जोड़ा गुड्डे गुड़िया की पूजा करता है।लौक डाउन के कारण खिलौने की सारी दुकानें बंद थी। बस फिर से जुट गई काव्या गुड्डा गुड़िया बनाने और उसे सजाने में ।खेलने वाली वह संगीसाथी परेशान करने वाले दोस्त भाई बहन कोई नहीं है फिर भी बना रही है गुड़िया,  शादी है ना उसकी गुड़िया की । 
  बचपन जब याद आता है ना तो सबसे पहले वह गुड्डे गुड़िया का खेल याद आता है पैसे नहीं थे ज्यादा खिलौने नहीं थे उसके पास पर, कितनी अमीर थी काव्या सबसे  सुंदर गुड़िया जो उसके पास  होती थी। 
    अपनी मम्मी जैसी सुंदर गुड़िया तो नहीं बना पाती है पर फिर भी बहुत कुछ सिखा दिया है इस गुड़िया के खेल में उसे।

कविता झा'काव्या'
#लेखनी दैनिक कहानी प्रतियोगिता
#लेखनी कहानियों का सफर

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8 Comments

madhura

02-Feb-2025 09:53 AM

v nice

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Abhinav ji

12-Jan-2023 08:14 AM

Nice

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